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युवाओं की सामाजिक समस्या के कारण

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युवाओं की समस्या के कारण

युवाओं की समस्या, उक्त विषय आज लगभग सभी समाजों के समक्ष विचारणीय है ।इससे पहले कि यह समस्या विकराल रूप ले, इसके गंभीरता पूर्वक त्वरित समाधान की आवश्यक्ता है । ” विमर्श ” और रिश्तों की ” शुभ पहल ” सेवा परिवार द्वारा ” संवाद ” के रूप में सामाजिक समस्याओं पर राष्ट्रीय विचार विमर्श निसन्देह एक अभिनव पहल है । मेरे विचार से इस समस्या के अनेकों कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारण इस तरह हैं । 

उच्च शिक्षा, पद एवं प्रतिष्ठा की चाह 

आज की सकारात्मक एवं  प्रगतिशील सोच वाली युवा पीढ़ी उच्च शिक्षा अध्ययन को बेहतर भविष्य के लिये महत्वपूर्ण मानते हैं । युवक और युवती दोनों शिक्षा के विविध व्यवसायिक एव्ं शोध विकल्पों को चुनकर लगभग सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं । शिक्षा पुर्ण करने में ही उम्र का 27 वाँ  पड़ाव निकल जाता है, इसके पश्चात योग्यता अनुरूप जॉब मिलने में 2-3 वर्ष निकल जाते हैं । 1-2 वर्ष जॉब करने के बाद ही वह ” विवाह ” करने का मन बनाते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । 

नौकरी पेशा जीवन साथी को प्राथमिकता 

अतीत में ” विवाह ” के लिये युवक-युवती घर-परिवार और रिश्तेदारों की सलाह को महत्व देते थे, इसके विपरीत आज के उच्च शिक्षित और जॉब वाले युवक और युवती दोनों ही इस मान्यता के विपरीत अपने लिये समान योग्यता वाले जीवन साथी को ही प्राथमिकता देते हैं । यक्ष समस्या का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है । 

अभिभावकों की बदलती सोच भी युवाओं की समस्या का कारण

लगभग 1 दशक पूर्व तक अभिभावकों के द्वारा अपने अविवाहित युवक-युवतियों के विवाह के लिये वर-वधु पक्ष के घर-परिवार एवं व्यवहार के आधार पर उपयुक्त जीवन साथी का चयन आसानी से हो जाता था । ” जौ घर-वर-कुल होई अनूपा, करिय विवाह सुता अनुरूपा ” लेकिन आज स्थिति इसके सर्वथा उलट है, वर्तमान परिवेश को पूर्णत: अंगीकार कर चुके अभिभावकों की सोच भी अपने बच्चों से भिन्न कैसे हो सकती है ! 

फलत: आज अभिभावक भी अपने बच्चों की हां में हां मिला रहे हैं । लेकिन, सभी आज नौकरी में जिस तरह की गला काट प्रतिस्पर्धा है उसे देखते हुए सभी युवक-युवतियों के लिये नौकरी पेशा जीवन साथी का मिल पाना तो संभव नहीं न । इस तथ्य पर ध्यान दिये बिना, केवल नौकरी पेशा वर का ख्वाब पालना पूरी तरह अव्यवहारिक है । 

युवाओं की परिवर्तित सोच

 आज का युवा घर परिवार की जिम्मेदारियों में रूचि नहीं रखता इसीलिये भी वह जॉब की ओर भागकर घर-परिवार से दूर रहकर स्वक्छंदता का जीवन जीना चाहता है । इसलिये उच्च शिक्षा की ओर ध्यान दिये बगैर छोटे छोटे जॉब से जुड़कर अपना कैरियर और भविष्य चौपट कर लेता है । 

अविवाहित युवाओं की बढ़ती उम्र एवं संख्या निश्चित रूप से गंभीर समस्या है । “विमर्श ” पत्रिका के द्वारा इस समसामयिक विषय पर “संवाद ” का आयोजन प्रशंसनीय है । इस कार्यक्रम की सफलता के लिये हृदय से बधाई ।

डॉ निर्मला सिंह 

प्रदेशाध्यक्ष 

हैहयवंशीय क्षत्रिय ताम्रकार,कसेरा, ठठेरा महासभा 

उत्तरप्रदेश

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