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आवाज़ किसकी सुनी जाएगी

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आवाज़ किसकी सुनी जाएगी, अमेरिका के सामाजिक आंदोलन “ब्लैक लाइवज़ मैटर्स” के  बारे में हर व्यक्ति ने सुना और पढ़ा होगा, किस तरह एक व्यक्ति की पुलिस के हाथों हुई दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु ने सम्पूर्ण अमेरिका और योरोप को झकझोर दिया और एक अंतरराष्ट्रीय जनांदोलन का आगाज़ हुआ । इस आंदोलन के आरम्भ की कहानी तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं आवाज़ किसकी सुनी जाएगी, कि इस आंदोलन के इतने व्यापक बनने के क्या कारण रहे?

अगर हम इस आंदोलन के इतने व्यापकरूप से फैलने और प्रभावी होने के कारणों को समझने का प्रयास करें तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आते हैं जिन्हें हम हमारे सामाजिक परिदृश्य में भी प्रतिस्थापित कर सकते हैं जो सामाजिक उद्भव के एक नए अध्याय को आरम्भ कर सकता है । “ब्लैक लाइवज़ मैटर्स” के सफ़ल आंदोलन बनने की मुख्य वजह इस आंदोलन को वहाँ की बड़ी बड़ी कंपनियों और व्यापारिक संगठनों का खुला समर्थन प्राप्त होना है । अपने भी गौर किया होगा, बहुत सी वेबसाइट पर “ब्लैक लाइवज़ मैटर्स” के संदेश के साथ समर्थन जाहिर किया गया । 

कमज़ोर की आवाज़ को शोर समझा जाता है

हमारे लिए संदेश यह है कि सामाजिक उत्थान के कार्यों में अगर समाज के उद्योगपति, व्यापारी और प्रोफेशनल लोग सक्रीयता के साथ जुड़ जाएं तो समाज का उत्थान शीघ्रता से संभव है । यह दुनिया की रीत है आवाज हमेशा ताकतवर की सुनी जाती है, कमज़ोर की आवाज़ को शोर समझा जाता है । अगर हम देश मे अपनी आवाज़ बुलंद करने के लक्ष्य लेकर काम करते हैं तो यह आवश्यक हो जाता है कि हमारीं आवाज़ नक्कारखाने में तूती बन कर न रह जाए ।

हमे अपनी सामूहिक आवाज़ को सशक्त घोषणा में बदलना होगा, तभी देश व राज्य की सरकारें हैहयवंशीय समाज की आवाज़ का संज्ञान लेंगी, इसके लिये हमे मजबूत संगठन की आवश्यकता है जिसमे समाज की समस्याओं को सुलझाने की भावना से समाज के सक्षम उधोगपतियों, व्यापारियों, व्यवसायियों को अपनी पूर्ण शक्ति के साथ शामिल होना होगा और अपने व्यावसायिक अनुभवों और क्षमताओं का उपयोग सामाजिक कार्यों के नेतृत्व करने में भी लगाना होगा । अगर कभी यह हो पाता है तो यह समाज केलिये कायाकल्प का क्षण होगा ।

सामाजिक संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करना होगा

समाज के विभिन्न संगठनों की व्यवस्था का अध्ययन करने की आवश्यकता है। समाज के बहुत से स्थानीय  संगठन बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं, ऐसे स्थानीय संगठनों की कार्यप्रणाली को समझ कर विस्तारित राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है । स्थानीय संगठनों के सक्रिय और प्रगतिशील लोगों को केंद्रीय संगठनों में भूमिका सुनिश्चित करने की आवश्यकता है । अभी अमूमन यह देखने मे आता है कि योग्यतानुरूप जिम्मेदारी निर्धारण नही हो रहा और न ही समाज के उत्थान की योजनाएं बनाई जा रही हैं । 

संगठन में समर्थ व्यापारियों, प्रोफेशनल के साथ स्थानीय सामाजिक सक्रिय लोगों को साथ लेना होगा और सामूहिक अनुभव के आधार पर सम्पूर्ण समाज केलिये योजनाएं बनाना होगी । केवल सम्मेलन करने से कुछ नही होगा अगर आपके पास समाज केलिये भविष्यदृष्टि नहीं हो, भविष्य की योजना नहीं हो तो आप उपलब्ध संसाधनों का अपव्यय ही होगा और हमारीं कोई सशक्त सामाजिक आवाज और पहचान नही बन पाएगी ।

आवाज उसी की सुनी जाती है जो समाज को भविष्य की राह दिखा सके । हमारे बीच ऐसे योग्य लोगों की कोई कमी नही है आवश्यकता केवल साथ आने की है ।

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